AMAN AJ

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आई नोट , भाग 25

    

    अध्याय-4
    इंटरनल हैप्पीनेस
    भाग-4
    
    ★★★  
    
    तकरीबन आधे घंटे बाद आशीष की कार ठिक उस बिल्डिंग के सामने खड़ी थी जहां मानवी का घर था। आशीष के पास फोन था जिसमें वह बिल्डिंग का बैकग्राउंड चेक कर रहा था। उसने बिल्डिंग का बैकग्राउंड चेक करते हुए कहा “तो यहां कल एक छोटी लड़की ने अपने पिता को मार दिया। जरूर दिमागी मरीज होगी। मानवी, क्या तुम एक ऐसी बिल्डिंग में रहती हो जहां इस तरह के काम हो जाते हैं।‌ क्या तुम्हें डर नहीं लगता। बिल्डिंग का ऑनर राकेश वर्मा है जिसकी उम्र 70 साल है और वो बिल्डिंग को बेचना चाहते हैं... क्या बात है, उसका नंबर...” तभी उसने नंबर देखा और तुरंत फोन निकालते हुए उसे डायल किया।
    
    कुछ देर घंटी बजी और उसके बाद सामने से फोन उठाया गया “जी कहिए।”
    
    “क्या मैं राकेश वर्मा से बात कर रहा हूं?” आशीष ने पूछा
    
    “नहीं...” सामने से जवाब आया “मैं उनका बेटा बोल रहा हूं। सुमित वर्मा, राकेश वर्मा अब इस दुनिया में नहीं, 3 महीने पहले उनकी हार्टअटैक से मौत हो गई थी”
    
    “ओह, सुनकर अफसोस हुआ, दरअसल मैं आशीष चौहान बोल रहा हूं। मुझे पता चला कि शहर में आप की बिल्डिंग है, उसकी हालत...” वह बिल्डिंग की तरफ देखने लगा। ‌ बिल्डिंग की हालत दयनीय थी। “... खैर वो छोड़िए, मैंने सुना है आप इस बिल्डिंग को बेचना चाहते हैं, तो बताइए क्या कीमत है, मेरे लॉयर प्रॉपर्टी पेपर और रकम शाम को ही भेज देंगे।”
    
    इसके बाद आगे की बातें हुई और आशीष ने फोन काट दिया। फोन काटने के बाद वह अपने मन में बोला “मुझे पता है मानवी, तुम यही कहोगी कि मुझे पूरी की पूरी बिल्डिंग खरीदने की क्या जरूरत थी, वह भी तब जब मैं तुम्हें जानता तक नहीं, मुझे तुम्हारे नाम पते और जो भी चीजें तुमने अपनी सीवी में लिखी थी उसके अलावा और कुछ भी नहीं पता, मगर लक्ष्य और मकसद.... इसे पाने के लिए कहीं से तो शुरुआत करनी पड़ती है।”
    
    उसने दोबारा फोन में ध्यान दिया और फेसबुक निकाला। “चलो अब बात तुम्हें जानने की आ ही गई है तो देखें तुम्हारी सोशल हिस्ट्री क्या कहती है...” उसने सर्च बॉक्स में मानवी का पुरा नाम डाला और काफी सारे पेज स्करोल किए। “लगता है तुम सोशल प्लेटफॉर्म पर नहीं हो... क्यों... क्या तुम नहीं चाहती कोई तुम्हें ढूंढे...” तभी उसे एक प्रोफाइल मिली जो डिलीटेड थे। उसने उसे खोला तो वहां मानवी के माता पिता का नाम दिखा। “या फिर तुम अपनी आईडी काफी समय पहले ही डिलीट कर चुकी हो.... तुमने अपनी आईडी को पूरी तरह से डिलीट नहीं किया... बस उसके डाटा को मिटा दिया ताकि कोई तुम्हें ढूंढ ना सके... अब इसके पीछे क्या गहरा राज है... कहीं तुम्हारी भी मेरी तरह कोई डार्क हिस्ट्री तो‌ नहीं... यह मैं अब कौन सी दिशा में जाने लगा हूं।” उसने फेसबुक आईडी बंद की और कार से नीचे उतर आया। 
    
    कार से नीचे उतरने के बाद वह बिल्डिंग की तरफ जाने लगा “मैं जानता हूं तुम्हारा पति इस वक्त काम पर गया होगा, तुम घर पर अकेली होगी, रो रही होगी, इस बात के बारे में सोच रही होगी कि तुमने मेरे एडवर्टाइजमेंट में यह क्यों नहीं देखा कि मुझे शादीशुदा लड़की नहीं चाहिए थी। या फिर हो सकता है तुम खाना बनाने में व्यस्त हो। शादीशुदा हो तो घर गृहस्ती के काम भी संभालले पड़ते हैं। तुम्हारे बच्चे! बस भगवान करे तुम्हारे बच्चे ना हो! अगर हुआ भी तो एक से ज्यादा नहीं। सच बताऊं तो मुझे बच्चे बिल्कुल भी पसंद नहीं।”
    
    वह बिल्डिंग में आया और सीढ़ियां चढ़ने लगा। सीढ़ियां चढ़ते हुए उसने अपने मन में कहा “पता नहीं बच्चों से मुझे क्यों इरिटेटिंग होती है... मुझे बचपन से ही उनसे नफरत है... अच्छा मानवी, मैं फिलहाल तुम्हें चोइस लिस्ट के आसपास रख रहा हूं... हां तुम मेरा लक्ष्य और मकसद बनोगी... मगर तुम जानती हो ना मेरे असफलता का सिद्धांत, असफल होने के बाद मैंने सीखा है कि मुझे अब किसी भी तरह की गलती नहीं करनी, जो चीज मैंने श्रेया के साथ कि वह मैं तुम्हारे साथ नहीं करना चाहता। मैं तुम्हें पाने के बाद खोना नहीं चाहता। इसलिए मैं तुम्हें धीरे-धीरे अपना लक्ष्य और मकसद बनाऊंगा, इसके बाद तुम्हें धीरे-धीरे ही हासिल करूंगा।”
    
    वह मानवी के घर के बाहर पहुंचा और वहां दरवाजे के ठीक सामने जाकर खड़ा हो गया। दरवाजे के सामने खड़े होकर उसने अपने मन में कहा “अगर मैं इस वक्त दरवाजे की डोर बेल बजा देता हूं, तो तुम आकर मुझे देखोगी, मानवी ऐसे में तुम्हारा एक्सप्रेशन क्या रहेगा। क्या तुम्हें मुझे देखकर डर लगेगा। या तुम्हें एक्साइटमेंट होगी कि एक अमीर बिजनेसमैन तुम्हारे घर के सामने आकर तुम्हारे दरवाजे पर खड़ा है। देखते हैं क्या होता है?” उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और डोर बेल बजा दी।
    
    मानवी अंदर किचन में थी। जैसे ही उसने डोरबेल सुनी वह दरवाजे की तरफ गई और जाकर दरवाजा खोला। दरवाजे के दूसरी और कोई नहीं था। वह बाहर आई और नीचे की तरफ देखा। वहां भी कोई नहीं था। उसने ऊपर की तरफ देखा वहां भी कोई नहीं था। उसने अपने कंधे उचकाए और वापस अंदर की तरफ चली गई।
    
    आशीष ऊपर की सीढ़ियों से नीचे की ओर आया, और सीढ़ियां उतरने लगा। धीरे-धीरे सीढ़ियां उतरते हुए उसने अपने मन में कहा “ मुझे पता है तुम इस वक्त क्या सोच रही होगी, तुमने सोचा होगा आखिर कौन इस तरह से तुम्हारे दरवाजे की घंटी बजा कर चला गया। मगर क्या तुम्हारे दिमाग में यह विचार आया होगा कि एक अमीर बिजनेसमेन ने तुम्हारे घर की घंटी बजाई। वह भला ऐसा क्यों करेगा। एक अमीर बिजनेसमैन को तुम जैसी लड़की के घर की घंटी बजाने की क्या पड़ी है। अमीर बिजनेसमैन के पास तुम जैसी लड़कियों की कमी नहीं। मगर मानवी, तुम जानती हो, तुम जानती हो मेरी पसंद काफी लिमिटेड है। मेरे पास तुम जैसी लड़कियों की काफी कमी है।”
    
    उसने कुछ देर तक घर के दरवाजे को देखा। इसके बाद वह नीचे की सीढ़ियां उतरने लगा। नीचे की सीढ़ियों उतरते हुए वह दूसरे फ्लोर पर पहुंचा और वहां बने घर के दरवाजे की तरफ देखा। “तो यहां रहती थी पागल लड़की जिसने अपने पिता को मार डाला। अच्छा हुआ इसने तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। अगर इसने ऐसा कुछ किया होता तो मेरा क्या होता।”  
    
    घर के दरवाजे को देखने के बाद उसने बाकी की सीढ़ियों से नीचे उतरना जारी रखा और बिल्डिंग के बाहर आ गया। बिल्डिंग के बाहर आने के बाद वह अपनी गाड़ी की तरफ जाते हुए बोला “आखिरकार मुझे एक बार फिर से मेरा लक्ष्य और मकसद मिल ही गया। जिंदगी जिसे मैं खत्म करने जा रहा था, जिंदगी जो आज सुबह से मुझे खाली खाली लग रही थी, मुझे फिर से कुछ ऐसा मिल गया जिससे मैं इसमें रंग भर सकूं। मैं अपनी जिंदगी को रंगों से सजा सकुं।”
    
    वह अपनी कार में बैठा और दुबारा फोन निकालकर उस पर कुछ सर्च करने लगा। सर्च करते हुए उसने अपने मन में कहा “चलो अब देखा जाए तुम्हारे पति के हिस्ट्री क्या कहती है.. वह कौन है और क्या करता है.... मगर तुम्हारे पति तक पहुंचना आसान नहीं है... मुझे तुम्हारे पति का नाम नहीं पता... ना ही मेरे पास उसकी फोटो है... इसलिए शायद यह काम शाम से पहले नहीं किया जा सकता। या किया भी जा सकता है” 
    
    उसने तुरंत फोन निकाला और सुमित वर्मा को फोन किया। जैसे ही सुमित वर्मा ने फोन उठाया आशीष बोला “हेलो, मैं आशीष बोल रहा हूं, अभी अभी आपको फोन किया था बिल्डिंग खरीदने के लिए, दरअसल मुझे पता चला है कि यहां कुछ किराएदार रहते हैं। मुझे उनसे कोई समस्या नहीं है, क्योंकि अभी 2 साल तक बिल्डिंग में किसी भी तरह का काम नहीं होने वाला, मगर क्या आप मुझे उनकी डिटेल दे सकते हैं। ताकि मुझे जानकारी मिले बिल्डिंग में कौन रहता है कौन नहीं।”
    
    यह सुनकर सुमित ने सामने से कहा “जी मैं अभी कुछ देर में भेज देता हूं।”
    
    “बिल्कुल।” आशीष ने फोन रखा और बिल्डिंग की तरफ देखने लगा। बिल्डिंग की तरफ देखते हुए वह दुबारा मन में बोला “तुम्हें पता है मानवी, एक अमीर बिजनेसमेन होने के फायदे क्या हैं, एक अमीर बिजनेसमैन के पास उसकी अमीरी उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है, अब देखो ना, मैंने यहां बैठे बैठे यह बिल्डिंग खरीद ली, अब कुछ ही देर में मुझे तुम्हारे पति की डिटेल मिल जाएगी, बताओ ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर सकता। देखना, देखना जब तुम मेरी जिंदगी में आ जाओगी तब मैं तुम्हें दुनिया का हर एक ऐशो आराम दूंगा। तुम्हें वह सब दूंगा जो तुम्हारा पति आने वाले 50 सालों तक तुम्हें नहीं दे सकता।”
    
    तभी उसके जीमेल का नोटिफिकेशन पॉपअप किया। आशीष ने उसे खोला तो वहां एक पीडीएफ फाइल थी। उसने तुरंत पीडीएफ फाइल को ओपन किया। एक एक फ्लोर के हिसाब से अलग-अलग रहने वाले किरायेदारों की अलग-अलग लिस्ट बनी हुई थी। उसने तुरंत चौथे फलोर की लिस्ट देखी। वहां मानवी का नाम था मगर उसके पति का नाम लापता था। यह देखते ही आशीष अपने मन में बोला “कमाल है, तो तुम्हारे पति ने अपना नाम नहीं दिया, अब ऐसा क्यों, क्या तुम्हारे पति का नाम ऐसा है जिसे पढ़ते ही कोई उस पर हंस पड़े। मगर यहां तुम्हारे पति के काम और उसके काम करने वाली जगह का एड्रेस जरूर है।” उसने उसे पढ़ा ‌“तो यह भाई साहब लेखक हैं। दुनिया का सबसे वाहियात काम। लेखक जो हमेशा अपनी कल्पना की दुनिया में रहते हैं। हां मैं इस बात को मानने वाला इंसान हूं जिसको अपनी जिंदगी एक कहानी लगती है। मगर मेरी कल्पना और एक लेखक की कल्पना में जमीन आसमान का फर्क है। एक लेखक मेरी कल्पना की बराबरी कभी नहीं कर सकता। तुम्हारा यह लेखक भाई साहब, यह सोच भी नहीं सकता मैं किस हद तक जा सकता हूं और क्या कर सकता हूं। शायद अगर इसे कुछ बताऊंगा तो इसे अपने लिए एक नई स्टोरी मिल जाएगी। फिर आने वाले समय में हो सकता है कि यह मुझे लेकर कोई कहानी ही लिख दें। किसी लेखक के दिमाग का क्या भरोसा, पागलों से कम नहीं होते लेखक।”
    
    उसने अपना फोन बंद किया और कार का गैयर बदलते हुए उसे सड़क पर चला दिया। वो मानवी के पति के ऑफिस की तरफ जा रहा था। उस तरफ जिसका एड्रेस उसे पीडीएफ फाइल में मिल गया था।
    
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